दिल टूटे तो…
क्या कहूं ....सुना था जब किसी का दिल टूटता है तो वो कवि बन जाता है...कालीदास की कविताओं पर भी नागर्जुन ने कहा है...कालीदास सच सच बतलाना तुम रोय थे या रति रोयी थी...आपने भी सुनी होगी वो कविता....वियोगी होगा पहला कवि आह से निकला होगा गान...ये सारी वो बाते हैं...जो एक वियोगी हृदय की दास्तां खुद ही सुना जाते हैं...लेकिन क्या मालूम ...वियोगी होना आसान काम नही है....भई इसके लिए कितने जतन करने पड़ते हैं...कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं...शायद इस बात का आपको अंदाज़ा भी नहीं होगा....क्या आपने इस बात पर तनिक भी गौर किया है...कि जब किसी का दिल टूटता है तो वो वियोगी क्यों बन जाता है...क्यों आंखों से अश्रु धाराओं के साथ कविता के बोल छंद बन सफेद काग़ज के टुकड़े पर खुद-ब-खुद उकेरने लगते हैं...आप में से कुछ तो कहेंगे कि भई हमने न तो प्रेम किया है और न ही प्रेम की गहराईयों के समझते हैं...लेकिन आप में से कुछ वो लोग भी होंगे जिन्होंने प्रेम किया होगा...और प्रेम की गहराइयों को समझते भी होंगे...कुछ के तो दिल भी टूटे होंगे...और कुछ तो सफेद पन्नों को स्याह करने में निश्चित रुप से जुटे होंगे...वियोगी मन प्रियतम की याद में तरसते हृदय कोने से कुछ गुबार न न न... कुछ बोल अगर निकाल भी देता है तो इसमें बुराई क्या है...इसी बहाने से हम पाठकों को कुछ पढ़ने को मिल जाता है...वैसे भी जो शब्दों में आप खुद बयां नहीं कर पाते...उसे दूसरों के लिखे शब्दों से पढ़कर कुछ सुकून तो मिल ही जाता है....खैर हम तो वियोगिपन की बातें कर रहें थे...तो इंसान की वियोगी होने के पीछे कई शर्ते हैं...पहले आपको किसी से प्यार करना होगा...प्यार भी जनाब ऐसा वैसा नहीं...समंदर की गहराइयों में डूबा हुआ प्यार...फिर इसमे एक शर्त है...आपका दिल टूटना ज़रुरी है....अगर आपका दिल नही टूटता है तो...आप वियोगी नहीं बन सकते तो जनाब किसी ऐसे शख़्स से प्यार किजिए...जो आपका दिल तोड़े फिर आपको दुख होगा...यहां भी एक बात बता दूं...दिल टूटने के बाद आप ग़म ग़लत करने के लिए शराब का सहारा न ले वरना आप वियोगी नहीं बन पाएंगे...क्योंकि शराब पीकर आप कविता तो लिख लेंगे....पर उसमें कविता वाला वो क्लासिकल रिद्म नहीं आ पाएगा...तो टीपीकल वाली कविता की रचना भी नहीं हो पाएगी...एक शर्त तो और है जनाब दिल टूटने के बाद किसी दूसरे साथी से दिल लगाने की कोशिश भी वियोगी बनने की राह में बाधा बन सकती है....और फाइनली अगर आप इन सभी बुराईयों से बचते बचते...वियोगी बन जाते हैं...तो उठाइये कोरा काग़ज और लिख डालिए अपने मन की परतों को...देखिए पहले आप सोचेंगे फिर थोड़ा रोएंगे...फिर आख़िर लिखने हीं लगेंगे...एक बार जो लिखने बैठ गए तो लिखते हीं जाएंगे...लिखते ही जाएंगे...तो जनाब सोच क्या रहें हैं...उठाइए पन्ना और लिख डालिए...अगर आप लिखेंगे...तभी तो हमारे जैसे लोगों को कविताएं मिलेंगी...और कई सारे बाते फिर आपके बारे में लिखने के लिए...क्या पता कल आप भी उन चंद गिने चुने कवियों में शुमार हो जाएं जिनके बारे में नागार्जुन को कहना पड़े....अमां यार सच-सच बतलाना तुम रोये थे...या तुम्हारे प्रेम में...
Tuesday, February 16, 2010
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"वियोगी" बनने के लिए गुर सिखाने वाले सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद् - प्रयास करना होगा तो नुख्से काम आयेंगे.
ReplyDeleteजय श्री राम......... | मैं एक अंक ज्योतिषी और बॉडी लैंग्वेज-विशेषज्ञ हूँ | इस विधा को अधिकाधिक विस्तार देने के लिए प्रयासरत हूँ | इसी दिशा में नवीन प्रयास हैं मेरे ब्लॉग ---http://ankjyotish369.blogspot.com एवं http://ankjyotish369.wordpress.com | इन ब्लॉगों पर आप अंक ज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज पर आधारित विविध विषयक विश्लेषणात्मक एवं भविष्यवाणीपरक आलेख पाएँगे,जिन में हर शुक्रवार को रिलीज़ होने वाली फिल्मों से सम्बंधित भविष्यवाणी भी होगी | आप इन ब्लॉगों पर नि:शुल्क परामर्श भी प्राप्त कर सकते हैं---हर मंगलवार (tuesday) को | जिन को अपनी जन्म-तारीख़ सही-सही पता नहीं है,वे भी परामर्श प्राप्त कर सकते हैं | इन ब्लोगों के समर्थकों और अनुसरणकर्ताओं को उन के जन्म के मूलांक का अंकज्योतिष और बॉडी लैंग्वेज पर आधारित परामर्श सहित विश्लेषण भेजा जाएगा | तो आइए मेरे ब्लॉगों----http://ankjyotish369.blogspot.com एवं http://ankjyotish369.wordpress.com पर |.........सप्रेम...डॉ.कुमार गणेश 369-जयपुर-+91-99298-42668,+91-90241-79535
ReplyDeleteबढिया है! लिखती रहें।
ReplyDeleteachcha lekh ruchikar laga, achcha vishay chuna hai, likhti rahen , blog jagat men swagat aur shubhkaamnayen.
ReplyDeleteAAP YOG VIYOG AUR SANYOG KE CHAKKAR SE BAHAR NIKLE. KAVITA LIKHNE AUR SAMAJHANE KE LIYE VIYOGI HONE KI NAHI, VARAN SAMVEDI HONE AUR DOOSRON KI SAMVEDNAO KO SAMAJHNE KI AAWASHYAKATA HAI. SATH HI SAMVEDNAO KO VYAKTA KARNE KE LIYE SUNDAR, SARAL AUR SHPASHTA SHABDON KI AAWASHYAKATA HAI. AAPKI RACHNA SUNDAR HAI, KAVITAYEN BHI BLOG PAR DEN. DHANYAVAD.
ReplyDeleteपढ़कर अच्छा लगा. जारी रहें. शुभकामनाएं.
ReplyDelete[उल्टा तीर]
bahut acha likha hai par mujhe nahi lagta dil aur pyar ko koi likh paya ho
ReplyDeletekyaa baat.....kyaa baat......kyaa baat.....kyaa khoob likha hai aapne.....!!
ReplyDeleteblog jagat mein aapka swagat hai... dil tute to log kavi ho jate hai... purntah to nahi par aansik roop se satya hai...
ReplyDeleteहिंदी चिट्ठा जगत में आपको देखकर खुशी हुई .. सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteउस दिन रास्ते में जब उसने मुझे पलटकर देखा तो मुझे लगा की मई जिन्दा लाश नहीं मुझमे भी हरकत बाकी है |
ReplyDeleteजाके ना हो फटे बिवाई वो क्या जाने पीर परायी।
ReplyDeleteटूटे हुए दिल के बारे में आपने खूब कही। पर मै आपको एक बात और बताऊँ कि कवि से अकवि बनाना क्या होता है। पहले मै एक कवि था लिखता था 'जब भावना के बादल मन को आच्छादित कर देते है तो जो वर्षा होती है उसे कविता कहते हैं'। अब इतने सालों में आदमी तो बन गया पर कवि मेरा खो गया।
अच्छा तरीका सुखाया है आपने ,सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteविकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
हिंदी चिट्ठा जगत में आपको देखकर खुशी हुई .. सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत, बधाई.
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